सोमवार, 23 जून 2008

निगाहे

झरोखे से झांकती निगाहे,
आतुर है ,खुली हवाओ मे आने के लिए,
मुक्त गगन मे विचरण के लिए,
घर की देहरी लाँघ ,
एक नई दुनिया बनाने के लिए

7 टिप्‍पणियां:

vijaymaudgill ने कहा…

माया जी बहुत ही बढ़िया। मज़ा आ गया। पढ़कर
सच में हर इंसान यही चाहता है।
शुभकामनाएं। दुआ है कि आप और अच्छा लिखें।
चंद लाइनों में बहुत ही बढ़िया और बड़ी बात कही आपने। बधाई हो आपको।

बेनामी ने कहा…

sundar rachana ke liye badhai. likhati rhe.

Unknown ने कहा…

आप सभी को टिप्पणी के लिए आभार

36solutions ने कहा…

चंद लाईनों में संपूर्ण भाव को प्रस्तुत करने का आपका प्रयास सराहनीय है ।

धन्यवाद ।

डॉ .अनुराग ने कहा…

jo sandesh dena chahti hai .....use aapne bade prabhavpurn tareekse se diya hai....

बेनामी ने कहा…

मुक्त गगन मे विचरण के लिए,
घर की देहरी लाँघ ,
एक नई दुनिया बनाने के लिए
bahut gehre bhav sundar badhai

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनायें !