कई दिनों तक सुर्खियों मे रहे घुमका गाँव का स्वयम्वर आख़िर सम्पन्न हो ही गया ,अन्न्पुर्न्ना को घना राम ने प्रश्नों का जवाब देकर उक्त स्वयम्वर को जीत लिया और कुछ दिनों मे विवाह सम्पन्न हो जाएगा ,दिलचस्प बात यह है की उस दिन हजारो ग्रामीण स्वयम्वर देखने मजमा लगाये हुए थे लेकिन अव्यवस्था के बीच कब स्वम्वर के प्रश्नों का सवाल जवाब हुआ कोई देख नही पाये और बाकी प्रतिभागी भी कंही नजर नही आए,अकेला घाना राम अन्नपूर्णा के साथ छत मे नजर आया जन्हा से वे जनसमुदाय का अभिवादन कर रहे थे
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छत्तीसगढ के बालोद के पास का एक छोटा सा गांव विगत एक माह से काफी चर्चित रहा क्योंकि वहां की एक बाला नें वैदिक परंपराओं का हवाला देते हुए स्वयंवर रचाने की घोषणा की थी । यह स्वयंवर मीडिया की कृपा से जन जन तक पहुंचा एवं छत्तीसगढ में अन्नपूर्णा के बिरादरी समाज के पदाधिकारियों के द्वारा इस स्वयंवर का विरोध किया गया क्योंकि समाज के परम्पराओं में स्वयंवर विवाह को मान्यता नहीं है वहीं, प्रगतिशील विचारधारा वाले युवाओं के समूह नें इसका सर्मथन किया था ।
मीडिया लगभग पंद्रह दिन तक उस लडकी के साहस पर चर्चा करती रही एवं जन माहौल में कौतूहल बना रहा ।
पर पता नहीं क्यूं मुझे पहले दिन से ही ये लगता था कि तथाकथित 'सीता-राम' का यह पूर्वनियोजित प्रायोजित कार्यक्रम है जिसे सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए ढकोसले किये जा रहे हैं । स्वयंवर में पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर 'राम' को पूर्व से ही ज्ञात था या फिर संभावित पंजीयन के बाद चुनिंदा 'राम' को प्रश्नो के संबंध में बता दिया जाने वाला था ।
इस बात की पुष्टि इसी से होती है कि क्या प्रश्न पूछे गये और क्या उत्तर दिये गये किसी को नहीं मालूम । मीडिया नें कहा कि तथाकथित 'राम' नें रटा रटाया संस्कृत में जवाब दिया और हूजूम के हो हल्ले के बीच 'सीता' नें उसे चुन लिया । सब कुछ प्रायोजित ।
मीडिया द्वारा भी इस प्रकार का महिमा मंडन किया गया जो मुझे तो उचित प्रतीत नहीं होता यद्यपि मैं नारी स्वतंत्रता का पक्षधर हूं किन्तु यदि इन 'राम-सीता' को यदि जनता से प्राप्त प्यार व सम्मान का मान चुकाना है और सचमुच में इनमें कोई असल जजबा है तो भविष्य में ये समाज के लिए कुछ सार्थक कार्य भी कर दिखलायें ।
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