फिर वही बारीश
ठन्ड का अह्सास
कपकपाते हाथ,
देखता हुआ,
खेत की मेड पर
खडा रहा
धान के ढेर को
अध कटी फ़सल को
शायद इस साल भी
खाली हाथ ही रह जायेगा
मेहनत का फ़ल
साल भर
इन्तजार के बाद
खेत मे ही रह जायेगा
किस्मत
भाग्य
नसीब
सब यु ही रुठ जायेगा,
बारीश
..बरसात मे
जब बरसना था
नही बरसा
अब बरसा
तो मन
क्यो तरसा
...
फिर से इन्तजार
फिर वही उम्मीद
आने वाले साल की
जब फ़सल
बढिया होगी
उम्मीद
के सहारे
जीते लोग
इन्तजार मे
अगले बरस का
4 टिप्पणियां:
... bhaavpoorn rachanaa !!!
इस दर्द को घटते कृषि क्षेत्र का किसान ही महसूस कर सकता है, आभार आपका.
bahut khubsurat rachna.
सुन्दर रचना
अच्छे भाव हैं
बधाई
आभार
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