मंगलवार, 10 जून 2008

नारीवादी आन्दोलन की दिशा

भारत मे सशक्त नारीवादी आन्दोलन का अभाव सा रहा है,अस्तु हाल मे संसद विधानसभा मे महिला आरक्षण का मुद्दा छाया रहा जिसमे अलग २ विचार के दलों की एक जुटता दिखी,बहरहाल यह टू समय ही बताएगा की इसका लाभ आम नारी को होता है या नही या सिर्फ़ राजनीतिक दल के बड़े नेताओ की बहुबेतियो को ही इसका फायदा होता है,नारी स्वतंत्रता को लेकर भी यत्र तत्र विचार समाचारों की सुर्खियों मे रहते आए है,लेकिन कुछ टू अतिनारीवाद के बाहुपास मे जक्दी हुई है जो तथाकथित आधुनिकता और स्वच्छन्दता पर जोर देती है,जाहीर है ये महानगरीय संस्कृति की पोषक महिलाये है जो स्वत्न्र्ता और स्वच्छन्दता के बीच झूल रही है,

1 टिप्पणी:

Subhash Ujjwal ने कहा…

aap ka likne ka tarika ek dam sateek or samanya sa hai jo seedhe pdhne wale k dimag mai ek film sa silsila suru kar deta hai..vihsy aas pass se chunte hai jo or aap nne pan ka aapni kahani hone ka ahsas deti hai..keep it up.muje hindi key nahi aati hai isliya aap se maajrat ka kwaha hu..saaba kheir...