सोमवार, 2 जून 2008

बारीश की बूंदे

बारीश का इन्तजार सभी को रहता है, मुझे भी बारीश का मोसमअच्छा लगता है ,छोटी छोटी बारीश की बूंदे नए उमंगें से भरपूर होती है, बारीश की बूंदों के पड़ते ही मिट्टी की सोंधी खुशबू भला किसको याद नही रहेगा ,आज भी उसे सोंच कर आप रोमांचित हो जायेंगे, बारीश के आते ही सब तरफ़ एक नई हलचल शुरू हो जाती है ,जहा किसान खेतो मे बुआई करने के लिए नई आशा विश्वास के साथ की ,इस बार जरुर अच्छी फसल होगी ,परिश्रम के लिए तैयार हो जाते है, बच्चे भी नए क्लास मे जाने को तैयार रहते है पानी की रिमझिम फुहारों के साथ स्कूल जाने मे वो भी नई क्लास मे जाने का मजा ही कुछ और आता है,पेड़ पोअधो मे नई जान आ जाती है ,अब कुछ नया नया सा ,सही कहा जाए तो वर्ष की शुरुआत भी बारीश के साथ होती है। जब झुलसती हुई गरमी के बाद बारीश होती है तब जिन्हें पानी के लिए मिलो चलना पड़ता है उनके चेहरों के रोअनक देखते ही बनती है ,

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