रविवार, 15 जून 2008

पतंग और आसमान

नीले आकाश मे रंगबिरंगे मंडराते पतंग से भला कों आकर्षित हुए बिना रहेगा,आज मैंने जब छत से ढेर सारे पतंगो की अठखेलिया देख बचपन की यादे ताजा हो गई जब हम दिन भर मेहनत करे मंजा धागा कांच से तैयार किया करते थे,अब तो रेडी मेड पतंगे मिलती है,धागा भी तैयार मिलता हैपर पहले हम घेर मे ही इसे तैयार करते थे ,

2 टिप्‍पणियां:

Amit K Sagar ने कहा…

बड़े होके भी हम बचपन में जाना चाहते हैं...फिर भला क्यों न बचपन इतना लुभावना हो. बहुत ही सुन्दर. काम शब्दों में. शुभकामनायें.
---
उल्टा तीर

बेनामी ने कहा…

aap ka blog woman who blog in hindi mae jodh diyaa gayaa haen
aap apna email id bheje rachnasingh@hotmail.com
taaki aap ko naari blog per sadsya banyaa jaa sakey
naari blog per mahila sashktikarn par kafii kuch likha jaa rahaa haen daekhe