आरुशी की हत्या हुए दिनों बीत गए पर सच क्या है अब भी पता नही,किसने की आरुशी की हत्या ?क्या कारण था उसकी हत्या के?क्यो इतनी छोटी उम्र मे उसको इस दुनिया से विदा होना पडा ?
कारण जो भी हो लेकिन एक सच तो यह है ही कि घर की चार दिहारी मे भी कोई सुरक्षित नही है,आरुशी न जाने क्यो इस दुनिया की निगाहों मे खटकने लगी थी कि उसे दुसरी दुनिया मे भेज दिया गया ,आरुशी कि हत्या किसी व्यक्ति ने नही व्यवस्था ने की है जो आज हमारे सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव ने अनापेक्षित रूप से ला दिया है,तथाकथित आधुनिकता के चकाचौंध मे हम भौतिकवाद के चंगुल मे इस तरह से राम गए है कि हमारे पास अपनों के लिए ही वक्त नही होता, सुबह से गए माँ बाप शाम को आते है,खाना खाते है फिर कोई टीवी देख रहा .कोई कंप्यूटर मे बैठ गया,कोई वीडियो गेम खेल रहा ,..........................इन सब बातो के बीच न जाने हम अपने बच्चो माँ बाप से एक घर मे रहते हुए कितनी दूर चले जाते है, न हम बूढे माँ बाप का ध्यान रखते है न बच्चो का, फिर क्या करते है , हम किस लिए काम करते है ,किस लिए परिवार नाम की संस्था है, समाज क्यो है,स्कुल क्यो है ,................क्या भोतिकता ने हमें इतना संकुचित कर दिया कि हम सिर्फ़ स्वकेंद्रित हो गए, आखिर क्यो ?
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