पोस्ट आफिस दुर्ग मे भर्राशाही का राज
पोस्ट आफिस दुर्ग post office durg मेभर्राशाही छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले मे स्थित प्रधान डाक घर अव्यवस्था की गिरफ्त मे है। किसी समय पोस्ट आफिस की साख ऐसी थी की लोग डाकिया को अपने रूपये पैसे जमा कराने हेतु दे दिया करते थे , लोग बेसब्री से डाकिया के आने का इन्तजार करते थे किंतु आज स्थिति अत्यंत भयावाह है पोस्ट आफिस मे आपके द्वारा जमा किए गए पैसे भी सुरक्षित है अथवा नही आप कुछ कह नही सकते । दुर्ग के प्रधान डाक घर मे आए दिन आम जनता के साथ दुर्व्यवहार यंहा के कर्मचारियों द्वारा किया जाना आम बात हो गई है , विभिन्न पदों के लिए बेरोजगार युवा बड़ी संख्या मे आवेदन भेजते है लेकिन समय पर डाक नही मिलने के कारण कई अभ्यर्थी भर्ती के अवसरों से वंचित हो जाते है , हलाकि अब डाक घरो मे कंप्यूटर की सुविधा भी दे दी गई है किंतु काम करने की गति उनकी पहले से भी कम हो गई है घंटो लोगो को लाइन मे खडा करके रखते है ओउर बाद मे कभी लंच का टाइम तो कभी अवकाश का टाइम का बहाना करके लोगो को परेशान करते है , आख़िर लोग थक हार कर निजी कोरियर कम्पनी की सेवा लेना पसंद करते है । कंही इन सब कारणों के पीछे निजी कम्पनियों को फायदा पहुचने की तो नही है ? लोगो मे डाकघर के प्रति रोष बढ़ता ही जा रहा है डाक घर जिला कार्यालय के नजदीक होने के कारन दूर दराज से आए ग्रामीण भी घंटो कतार मे खड़े दिख जाते है डाकघर के कर्मचारी बड़ी हिकारत के साथ अह्सहानुभुती पूर्वक व्यवहार करते है । डाक घर की साख कितनी कम हो गई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की लोगो मे डाकघरों की जमा योजनाओ के प्रति भी विश्वास नही रहा है और प्रतिवर्ष जमा के आंकडे कम से कम होते जा रहे है , चाहे वह nsc हो या rd या beema सभी मे लोग दूर होते जा रहे है ।अभिकर्ताओ के साथ भी यही रवैया किया जा रहा ओउर कमीशन देने को बाध्य कर रहे जिसके कारन उनमे भी रोष है किंतु चुपचाप सहते जा रहे है । बड़े अधिकारी यदि इस और ध्यान नही देंगे तो जनता का रोष किसी भी दिन विस्फोटक रूप ले सकता है हो सकता है की लोग कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के कारन फर्जी बचत कम्पनियों की तरफ़ आकर्षित हो ओउर अपनी जमा पूंजी गँवा बैठे अतएव तत्काल अधिकारियो को कड़े कदम उठाकर निकृष्ट कर्मचारियों को दण्डित करना चाहिए ओउर साथ ही डाक घरो के स्टाफ को ग्राहकों आमजनता के साथ किस तरह से व्यवहार करना चाहिए का प्रशिक्षण दे ताकि निजी कोरियर की अपेक्षा डाक घर भी आम जनता के साथ सम्मान के साथ पेश आए
5 टिप्पणियां:
आपके इस पोस्ट में हम कल ही कमेंट करने वाले थे किन्तु समाचार पत्रों में प्रकाशन का इंतजार करते रहे ।
संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिये हमारे कर्मचारी सदैव उद्धत रहते हैं किन्तु अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव उदासीन रहते हैं । हडताल की पडताल किये बिना हाय हाय करना भीड का माद्दा बन चुका है । जो भी लिखा, किया उसका हम गैर राजनैतिक रूप से समर्थन करते हैं ।
धन्यवाद मुद्दे पर आपके समर्थन के लिए ...
आपने एक गम्भीर विषय पर कलम चलाई है। निहसंदेह इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
माया जी हो सकता है आपको दुर्ग पोष्ट ऑफिस की किसी घटना ने यह सब लिखने के लिए मजबूर किया हो , लेकिन मेरे विचार से यह तस्वीर का एक ही पहलू है, भ्रष्टाचार समाज के अनेक हिस्से में व्याप्त है, छत्तीसगढ के सरकारी कार्यालयों में तो यह चरम पर है, लेकिन मेरे विचार से आज भी डाक विभाग में ज्यादा ईमानदारी और जनसेवा की भावना विद्यमान है, भारतीय डाक विभाग विस्वस्त सेवा प्रदान करने में लगा है, दुर्ग के प्रधान डाक घर के विषय में मेरे अनुभव और भी अधिक सकारात्मक रहे हैं इसलिए मैं आपके इस लेख से असहमत हूं, भ्रष्टाचार के प्रति आपकी चिंता जायज है, और अगर आपका इसका अधम रूप देखना हो उसी डाकघर के बगल में तहसील कार्यालय और कोर्ट का दौरा कर लीजिएगा, या किसी भुक्तभोगी के दर्दनाक अनुभव पूछ लीजिएगा आप को भ्रष्टाचार का असली रंग नजर आ जाएगा, मेरा मानना है कि आज भी भारतीय डाक विभाग के कर्मचारी विपरित परिस्थितियों में जितनी ईमानदारी और कर्मठता से अपना कार्य कर रहे हैं उतना कोई अन्य विभाग नहीं, हो सकता है कुछ भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी हमें तंग कर रहे हों , इसके लिए हम पूरे डाक विभाग को बदनाम नहीं कर सकते , मेरा विचार से दुर्ग पोष्ट ऑफिस सहित अधिकतर डाक घरों एवं डाक विभाग में आज भी ईमानदारी और विश्वसनीयता बनी हुई है,,,
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