शेर से लेकर ,
चूहों,बिल्लियों,कुत्तो,सभी का दर्द,
महसूस करती है आप,
न जाने कितनो परिंदों कोमुक्त गगन मे विचरण क लिए
पिंजरों से आजाद कराया
कितनो मदारियों को ,
उनकी रोजी रोटी से मरहूम कराया,
सर्कस वालो की करतबों को बंद कराया,
पशु और इन्सान को एक दूजे का,दर्द महसूस कराया
पर,शायदपशु और इन्सान मे
फर्क महसूस नहीं करती आप,
लेकीन धर्म दो इंसानों को
कितना बाँट देती हैजो
हाथ ही नहींगला भी कांट सकती है
एक माँ
क्या यही सब
अपने बेटो को सिखाती है.....??
2 टिप्पणियां:
aapki kalam bolti hai ...bahut achchha likhti hain aap
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