शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

स्थानीय निकाय चुनाव,जनता की आशाये अपेक्षाए

वार्ड पार्षद चुनाव ,अध्यक्ष चुनाव मे प्रचार प्रसार जोरशोर से जारी है,लोग अपने प्र्ताशियो को जिताने जी जान से घर घर घूम रहे है,एक एक वोट की कीमत का अंदाजा लोगो को है,प्रत्याशी भी हर तरीके से लोगो को रिझाने मे लगे है,बजबजाती नालियों की बदबू गड्ढे से पटे सड़क नल की खुली टोटियों से बूंद बूंद रिसते पानी की दशा सुधरने से लेकर राशन कार्ड बनवा देने का वचन दे रहे नेता , कम्बल धोती सारी सब कुछ लुटाने को तैयार है,आमजनता जो पानी बिजली सड़क शौचालय हास्पिटल राशन क लिए चिंतित है,खूब खरीखोटी सुना रही है,नेताओ को, पर उनके सामने भी घिसे पिटे प्रत्याशी को चुनने क आलावा कोई विकल्प नहीं है,छत्तीसगढ़ का कोई शहर मशीन्युक्त झाड़ू से सफाई क योग्य नहीं है पर हर जगह लाखो करोडो की लागत से स्वचालित झाड़ू की मशीन खरीद ली गई,किसलिए? क्यों? यदि पेयजल ओउर पानी निकासी की समुचित व्यवस्था भी निगम पालिका कर ले तो बहुत है,लेकिन वे तो शहर को पेरिस लन्दन बना देने का वादा कर रहे है, शाशन क प्रतिनिधियों ने स्वीट्जर लैंड ओउर न जाने कहा कहा का विदेश भ्रमण इन बीते वर्षो मे किया होगा, ओउर वेदेश्यात्रा का मजा लिया होगा, क्या वास्तव मे इसकी जरुरत थी, बड़े टावर मे लाईट से ज्यादा सभे गली कूचो मे पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए, गौरव पथ की जगह साफ़ सुथरी सभी जगह सड़क होनी चाहिए,पर नेताओ को निगमों को लैपटाप बाटने जैसे खर्चीले उपाय क्यों सूझ रहे, हाईमास्क लाईट की जरुरत है भी?बस्स्तंद मे पानी भरा रहता है,प्रतीक्षालय गंदगी से पाती पडी है,कुत्ते सुआर ही गली ओउर नाली की सफाई कर रहे,राशन कार्ड गरीब लोगो के लिए तरस रहे,लोगो मे गरीब बनने की होड़ लगी है,अध्यक्ष को स्कार्पियो गाडी चाहिए पार्षद कमीशन के लिए लड़ रहे,बाजार मे सड़ेगले मांस से लेकर सब्जी ब्रेड बिक रहे है,कोई है देखने वाला कोई नहीं, घर बनाने के लिए नक्षा पास करना हो तो पसीने छुट जायंगे सबको कुछ न कुछ देंगे तब ही काम बनेगा, अब ओउर क्या लिखे ,हम सब जानते है यही व्यवस्था है, इसी मे हमको जीना है,.......................

2 टिप्‍पणियां:

36solutions ने कहा…

आपने हकीकत बयां की है. यही अवसर है योग्‍य व्‍यक्ति को चुनने का किन्‍तु जनता के पास इन सब बातों पर चिंतन के लिए अवसर कहां है वह तो हर हाल में किसी ना किसी व्‍यक्ति या पार्टी के प्रभाव में या फिर चेपटी के प्रभाव में एकतरफा वोटिंग करती है आपके जैसे सार्थक विचार और आक्रोश व्‍यक्‍त कर रहे लोगों के विरोध में वोटिंग करती है. यही विडंबना है.
किन्‍तु विद्रूपों का शव्‍दों से मुकाबला करने का दायित्‍व तो शव्‍दशिल्‍पी का सदैव रहा है, आपने अपने विचार एवं आक्रोश व्‍यक्‍त किया इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.
आपकी यह पोस्‍ट बहुत दिनों बाद आई है, आशा है अब आप ब्‍लाग जगत में सक्रिय रहेंगी.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत विचारोत्तेजक लेख माया जी,

लोकशाही बीमार पड़ी जनरल वार्ड में
गरीबों की सांसे कैद हैं राशन कार्ड में


आभार