मंगलवार, 15 जुलाई 2008
खुले आम कत्लेआम लोकतंत्र का :सांसद २५ से ३० करोड़ मे ....???
आज न्यूज़ मे टी वी मे दिखा रहे थे कि ,आगामी संसद मे होने वाले विश्वास प्रस्ताव पर अपने पक्ष मे वोट डालने के लिए कोई पार्टी पर २५ करोड़ मे सांसद को खरीदने का आरोप लगा रहे थे तो दुसरी पार्टी वाले ३० करोड़ मे खरीदने का....,मामला चाहे जो हो लेकीन इस तरह सरे बाजार लोकतंत्र को नीलाम करते हुए ये शायद लोकतंत्र की कीमत को कम आँक रहे है आज ये मीडिया मे जो बयानबाजी कर पा रहे है उसके पीछे हमारे उन महान नेताओ की खून पसीने से सींच कर लोकतंत्र की बुनियाद रखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की मेहनत परिश्रम का योगदान है जिन्होंने देश मे लोकतंत्र लाने के लिए सर्वस्व न्योछवर कर दिए थे। क्या हमारी लोक तांत्रीक व्यवस्था इतनी कमजोर है की पैसे के बल पर खरीदा जा सकता है कुछ समय पहले प्रश्न पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप इन पर लगा था तब भी देश मे हाहाकार मच गया था लेकिन व्यवस्था शायद अब भी वैसी ही बनी हुई है
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1 टिप्पणी:
माया जी, सर्वस्व न्योछावर करने वालों की संतानें तो आज भी घोर कठिनाईयां झेल रही हैं. ये खरीदे-बेचे जाने वाले घोडे तो वह हैं जिनके पुरखे आजादी की लड़ाई में भी बिक रहे थे और कुछ उससे पहले ही बिक चुके थे. अच्छा लिखा है.
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